बागपत :- ईस्टर का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास और धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है और ईसाई लोग एक-दूसरे से मिलकर ईस्टर की खुशियों को एक-दूसरे के साथ साझा कर रहे हैं। चर्च व घर रंगबिरंगी मोमबत्तियों की रोशनी से जगमगा रहे है और चर्चों में विशेष प्रार्थना सभाओं का आयोजन किया जा रहा है।
बागपत के प्राचीन चर्चों में शुमार ललियाना के सेंट जोसफ चर्च के फादर एल्बर्ट बताते है कि ईस्टर एक ऐसा पर्व है जो परमेश्वर के होने को सिद्ध करता है। उन्होंने बताया कि परमेश्वर के पुत्र यीशु मसीह को जब मानवता के दुश्मन धर्मगुरूओं ने षड़यंत्र रचकर मार दिया था, उस समय संसार में घोर निराशा छा गयी थी। परमेश्वर की सत्ता में विश्वास रखने वाले हर नागरिक में अशांति और भय का माहौल था। किसी को विश्वास नही हो रहा था कि परमेश्वर का पुत्र ऐसे कैसे मारा जा सकता है, लेकिन यह सब परमेश्वर की एक लीला थी। जिस समय परमेश्वर के पुत्र यीशु मसीह को सूली पर चढ़ाया गया, उस समय सम्पूर्ण विश्व में पाप इतना अधिक फैल चुका था अगर उसको रोका ना गया होता तो सृष्टि नष्ट हो जाती।
इसके बाद प्रभु यीशु पूर्ण स्वस्थ शरीर के साथ 40 दिनों तक अपने अनुयायियों के बीच रहे और लोगों को मानवता, प्रेम, आदर-सत्कार, धैर्य, सत्य, माफी, उपकार, परोपकार, प्रार्थना आदि सहित परमेश्वर की शक्ति में विश्वास करने की शिक्षा देते रहे। बताया कि सम्पूर्ण विश्व के पाप अपने ऊपर लेने के बाद तीसरे दिन फिर से प्रभु यीशु हमारे बीच थे, इसी खुशी में ईस्टर का त्यौहार मनाया जाता है। प्रभु यीशु मसीह ने हम पर जो उपकार किये है उसके लिए समस्त संसार उनका ऋणी है और हमेशा ऋणी रहेगा।
आप अपने सुझाव हमे यहा टिप्पणी कर के दे सकते हे