रिपब्लिक भारत टीवी चैनल के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी करके छत्रपति शिवाजी के नाम पर बनी शिवसेना भारतवर्ष की सत्ता को अपने सुख का साधन समझने वाली कांग्रेस ने लोकतंत्र के सबसे महत्वपूर्ण स्तम्भ को तोड़ने का काम किया है।सबसे अधिक दुख इस बात का है कि हमारा पत्रकार समाज का ही कुछ हिस्सा अंदर से खुश हो रहा है।
आखिर पत्रकार समाज खुश क्यों ना हो?
क्योंकि रिपब्लिक भारत टीवी चैनल के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी बड़े-बड़े मीडिया नेटवर्क के निशाने पर जो थे। इसकी वजह सीधी और बेहद ही साफ है रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क में जिस से हिंदी न्यूज़ नेटवर्क में कदम रखा उस दिन से कई वर्षों से नंबर वन का ताज पहने हुए चैनलों को जमीन पर लाकर खड़ा कर दिया और रिपब्लिक भारत में नंबर वन का ताज हासिल किया और टीआरपी नंबर वन हुई यह बात पुराने मीडिया जगत को कुछ हजम नहीं हुई। क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सारा खेल टीआरपी का होता है जिसकी टीआरपी ज्यादा उसका बिजनेस भी ज्यादा।
अर्णव आखिर लड़ किसके लिए रहा था?
अर्नब गोस्वामी क्या अपने लिए लड़ रहे थे जी नहीं अर्नब गोस्वामी सारे हिंदुत्व की लड़ाई अकेले लड़ रहा था। जब बड़े-बड़े मीडिया संस्थान पालघर के मामले में चुप्पी साधे हुए थे उस वक्त एक रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क ही था जो पालघर के मामले को बड़ी ही बेबाकी से रख रहा था । हिंदुत्व का साथ देने का अंजाम अर्नव अकेले भुगत रहा है। आज अर्नब को हमारे सभी पत्रकार भाइयों के साथ की जरूरत है यदि आज किसी पत्रकार को लगता है कि हमें क्या लेना देना तो आप गलत है क्योंकि आज जिस जगह अर्णब गोस्वामी हैं उस जगह आप का भी नंबर आने वाला है इसलिए आपसी मतभेद भूलकर अर्नब का साथ देने का संकल्प लें।
क्या पत्रकारिता को अलविदा कहने का वक्त आ गया है?
यदि आपका न्यूज़ चैनल आपका न्यूज़पेपर आपकी न्यूज वेबसाइट आपका न्यूज़ पोर्टल आपका यूट्यूब चैनल अन्य जो भी माध्यम है इस सत्य की लड़ाई में अर्नब गोस्वामी का समर्थन नहीं करता तो मान लीजिए वह मीडिया संस्थान किसी काम का नहीं है वह बिकाउ है उसे अलविदा कहने का वक्त आ गया है ।
बेहद शर्म की बात है हमारा ही संगठन अभी तक सभी 5 जगह से न ज्ञापन भेज सका न शान्ति मार्च निकाला सका। जिस केस को दो वर्ष पहले महाराष्ट्र पुलिस यह कह कर बन्द कर चुकी थी कि इसमें कोई सबूत नहीं मिल रहा अचानक कौन से सबूत मिल गए कि गिरफ्तारी करनी पड़ी मित्रो यह केवल और केवल कांग्रेस के घोटाले उजागर करने का अंजाम भुगतना पड़ रहा अर्नव को यदि आज पत्रकार एकता नहीं दिखेगी तो वह दिन दूर नहीं जब हरेक पत्रकार पुलिस का शिकार बनता दिखेगा तो हमारी करबद्ध प्रार्थना है जागो हमारे जर्नलिस्ट यह केवल अर्नव पर हमला नहीं सम्पूर्ण मीडिया पर हमला है। यह संभव है कि हमारे पत्रकार मित्रों को मेरे यह शब्द आप सभी को नुकीली कील की तरह चुभ रहे होंगे अगर हा तो लिखो मैं पत्रकारिता से संगठन से दूर हो जाऊँगा अपनों पर कुठाराघात असहनीय पीड़ा दे रहा है हमारे संगठन के लोगों को ही ग्रुप खोल कर देखने का भी समय नहीं है। अंत में मैं राकेश सिंह राजपूत जी का धन्यवाद अदा करना चाहूंगा इन्होंने इस मुद्दे पर प्रकाश डाला एवं ध्यान भी दिया।



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