उद्धव ठाकरे का दोहरा रवैया आया सामने

भुपेन्द्र सिंह कुशवाहा
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पोस्ट - रामनरेश विश्वकर्मा 

महाराष्ट्र सरकार यानी महाराष्ट्र के मंत्री उद्धव ठाकरे को बस अपने विषय में कुछ भी सुनने और सहने की क्षमता ही नहीं है।और जिस व्यक्ति में सुनने और सहने की क्षमता ना हो समझो ऐसे व्यक्ति को अगर पूरे राज्य का कार्य सौंप दिया जाए तो वह ना जाने कितने गरीबों का, अनगिनत मासूमों का अनगिनत सत्य बोलने वालों का सत्य की राह पर चलने वालों का सत्य लिखने वालों का और ना जाने कितने सत्य पर बोलने व चलने वाले लोगों का गला घोटेगा,,,,


इसलिए जनता जनार्दन की अब एक ही मांग है महाराष्ट्र में अब राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाए तो वह बेहतर है,,,



ठीक ऐसा ही किया था उस वक्त महाराष्ट्र पुलिस ने जब जिया खान सुसाइड नोट मिला जिसमें अपराधियों का नाम भी मौजूद था। फिर भी मुंबई पुलिस कहती हैं कोई सबूत नहीं मिला है,, वह फाइल बंद कर दी क्लीनचिट दे दी क्यों नहीं जिया खान की फाइल खोली जाती। दिशा सालियान की फाइल गुम हो जाती है डेटा डिलीट हो जाता है अपराधियों को शरण देने वाली सरकार बन चुकी गुंडों की सरकार उद्धव सरकार...

आखिर उद्धव सरकार अर्नब गोस्वामी के पीछे क्यों पड़ी है ?

चलिए हम आपको बताते हैं क्योंकि पालघर में संतों की हत्या हुई उस मुद्दे को अर्नब ने बेबाकी से उठाया और उद्धव सरकार को कटघरे में खड़ा किया, सुशांत सिंह मर्डर केस में भी उद्धव सरकार को कटघरे में खड़ा किया कांग्रेस के काले कारनामों को अर्नब ने खुली चुनौती दी इसी तरह और भी काफी मुद्दे हैं ।उद्धव सरकार की गले की हड्डी बन गए थे अर्णब इसलिए उद्धव सरकार अपने काले कारनामों को छुपाने के लिए बंद और तथ्य विहीन फाइलों को फिर से खुलवा कर अर्णब को रास्ते से हटाने का संपूर्ण बंदोबस्त किया ।

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