यदि प्रशासन पराली जलाने के जुर्म में किसानों को सेटेलाइट से चिन्हित करके उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करती है तो फिर इस जहरीले प्रदूषण के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है?
इस जलती हुई आग और उठते हुए धुएं की चर्चा स्थानीय लोगों में जोरों पर है। शहर में एवं आसपास के इलाके में चर्चाएं हो रही हैं क्या प्रदूषण सिर्फ धान के अवशेष जलाने से ही होता है। कचरे के ढेर में प्लास्टिक जलने के कारण जहरीला धुंआ निकल रहा है उससे नही होता ?
आखिर इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर क्या प्रशासन कोई कार्यवाही करेगा भी या नहीं। क्या कानून सिर्फ किसानों और दबे कुचले लोगों के लिए ही बनाया गया हैं?


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