किसान पराली जलाए तो अपराध और नगर निगम कूड़े के ढेर जलाएं तो अपराध क्यों नहीं ?

भुपेन्द्र सिंह कुशवाहा
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जालौन
- उत्तर प्रदेश प्रशासन का जालौन में दोहरा रवैया देखने को मिल रहा है। एक तरफ प्रशासन पराली जलाने के अपराध में किसानों को सेटेलाइट से चिन्हित करने का दावा करके मासूम किसानों को अपराधियों की तरह जेल में डालने का घिनौना कार्य कर रहा है। वहीं दूसरी तरफ जालौन जिले में जालौन कोंच रोड पर दूध डेरी के पास जालौन नगर निगम द्वारा शहर का कचरा रोड के पास में सार्वजनिक जगह पर डाल दिया जाता है। और उसमें चौबीसों घंटे आग जलती रहती है। इस तसवीर और नीचे शामिल वीडियो में आग की लपटें और उससे उठने वाला धुआं आप साफ-साफ देखा जा सकता है ।

यदि प्रशासन पराली जलाने के जुर्म में किसानों को सेटेलाइट से चिन्हित करके उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करती है तो फिर इस जहरीले प्रदूषण के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है?

इस जलती हुई आग और उठते हुए धुएं की चर्चा स्थानीय लोगों में जोरों पर है। शहर में एवं आसपास के इलाके में चर्चाएं हो रही हैं क्या प्रदूषण सिर्फ धान के अवशेष जलाने से ही होता है। कचरे के ढेर में प्लास्टिक जलने के कारण जहरीला धुंआ निकल रहा है उससे नही होता ?


आखिर इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर क्या प्रशासन कोई कार्यवाही करेगा भी या नहीं। क्या कानून सिर्फ किसानों और दबे कुचले लोगों के लिए ही बनाया गया हैं?

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