टीका अनिवार्य नहीं ,मर्जी के खिलाफ नहीं लगा सकते : सुप्रीम कोर्ट

भुपेन्द्र सिंह कुशवाहा
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नई दिल्ली : जैसे कि आप सभी को मालूम है कि जब से कोविड-19 की महामारी आई है उसके बाद हमारे वैज्ञानिकों ने इसकी वैक्सीन बनाई , और केंद्र सरकार के द्वारा इस वैक्सीन को सभी व्यक्ति को वयस्क नागरिकों के लिए अनिवार्य कर दिया गया है । वैक्सीन आने के बाद ही विपक्ष और अन्य विरोधी पार्टियां वैक्सीन का विरोध करती रही है। वैक्सीन के बारे में कई नेताओं ने तो यहां तक कह दिया कि हम भाजपा द्वारा निर्मित वैक्सीन नहीं लगाएंगे एक षड्यंत्र है । इसी के चलते पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका भी दायर की गई थी।


दायर याचिका की सुनवाई के वक्क्त केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा - निर्देश में व्यक्ति की इच्छा के विरुद्ध कोरोना का टीका लगाने की बात नहीं कही है । सरकार ने आगे कहा कि कोविड-19 का टीकाकरण अनिवार्य नहीं है । टीकाकरण करवाना लोगों पर निर्भर है वह टीका लेना चाहते हैं या नहीं । महामारी का विकराल रूप देखते हुए टीकाकरण लोगों के हित में है इस बात का प्रचार किया है कि लोगों को टीका लगवाना चाहिए।

• केंद्र ने एक जनहित याचिका के जवाब में दायर हलफनामे में जोड़ दिया कि टीका जनहित में है।

• सरकार ने ऐसी कोई एसओपी जारी नहीं की कि किसी भी मकसद की जीटी का प्रमाण पत्र अनिवार्य हो।

• सरकार ने बताया कि टीकाकरण की परिचालन दिशा निर्देश के अनुसार सभी लाभार्थियों को प्रतिकूल घटनाओं के बारे में बताना जरूरी है.

• केंद्र सरकार ने आगे कहा कि पहली व दूसरी खुराक के पात्र लाभार्थियों का  100 फीसदी कवरेज सुनिश्चित करने के लिए बीते साल नवंबर हर घर दस्तक अभियान शुरू किया गया था।

• राज्य सरकारों को सलाह दी है कि वे बिस्तर पर पड़े या दिव्यांगों को विशेष जरूरतों के साथ उनके निवास पर ही टीकाकरण करें। 

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