जनपद सोनीपत, हरियाणा। विवेक जैन
- सोनीपत के गड़मिरकपुर गांव में स्थित तख्त वाले बाबा की कुटी में हर वर्ष लाखों की संख्या में पहुॅंचते है श्रद्धालुगण
- यमुना किनारे स्थित प्रसिद्ध तख्त वाले बाबा की इस कुटी में बने है अनेकों सिद्ध और तपस्वी साधुओं के समाधि स्थल
हरियाणा - सोनीपत जिले की राई तहसील के गड़मिरकपुर गांव में स्थित तख्त वाले बाबा की कुटी को क्षेत्र में आस्था का मुख्य केन्द्र माना जाता है। तख्त वाले बाबा की कुटी में स्थित बाबा के समाधि स्थल को आलौकिक शक्तियों से सम्पन्न बताया जाता है। आसपास क्षेत्रों के लोग बताते है कि बाबा के दरबार में सच्चे मन से आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामनायें पूर्ण होती है। हर वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालुगण बाबा के दर्शनों के लिए आते है।
तख्त वाले बाबा की कुटी के वर्तमान महन्त स्वामी भक्तेश्वर आनन्द गिरि जी महाराज ने बताया कि तख्त वाले बाबा की इस कुटी की मान्यता दूर-दराज क्षेत्रों तक फैली हुई है। बाबा की इस कुटी का इतिहास सैंकड़ों वर्ष पुराना है। बताया जाता है कि प्राचीन काल में इस स्थान पर घना और विशाल जंगल था, जिसमें भयंकर जंगली जानवरों की भरमार थी।
यह स्थान अनेकों सिद्ध ऋषियों-महर्षियों और साधु-संतों की तपोस्थली था। जिस स्थान पर तख्त वाले बाबा की समाधि बनी है, उस स्थान पर बाबा एक तख्त पर बैठकर ध्यान लगाकर तपस्या किया करते थे। बाबा को अनेकों सिद्धियां प्राप्त थी। बाबा की कुटी से सम्बन्धित अनेकों चमत्कारी कहानियां पूरे क्षेत्र में प्रसिद्ध है। कुटी परिसर में कुटी की देखभाल करने वाले माकला ब्रहमचारी, धन्नू ब्रहमचारिणी, चेतानन्द ब्रहमचारी, रामानन्द ब्रहमचारी, सुरेशानन्द ब्रहमचारी जी की समाधियां बनी हुई है। इनसे पहले अनेकों साधु-संत भी कुटी की देखभाल कर चुके है, लेकिन समय के साथ उनकी जानकारी विलुप्त हो चुकी है।
कुटी के आस-पास के खेतो में कार्य करने वाले गड़मिरकपुर निवासी किसान जोगिन्द्र, बड़ौली निवासी किसान अर्जुन, किसान श्याम, ब्रहम ठेकेदार आदि ने बताया कि कुटी परिसर में शिव परिवार, हनुमान जी, काल भैरव जी सहित अनेकों भगवानों की प्रतिमाए विराजमान है।
कुटी परिसर में प्राचीन धूने स्थित है, जिनमें हमेशा अग्नि प्रज्जवलित रहती है। कुटी की साफ-सफाई और हरियाली हर किसी का मन मोह लेती है। वर्तमान में कुटी परिसर को सुन्दर और भव्य बनाने में मन्दिर के महंत और गड़मिरकपुर के प्रधान सतेन्द्र की महत्वपूर्ण भूमिका बतायी जाती है। कुटी के महन्त स्वामी भक्तेश्वर आनन्द गिरि जी महाराज ने बताया कि सातवें कनागत पर हर वर्ष इस कुटी में विशाल भण्ड़ारे का आयोजन किया जाता है।
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