लखनऊ -कोरोना की दूसरी लहर (second wave of corona) के बीच इलाज को लेकर भी तरह-तरह के कंफ्यूजन देखे जा रहे हैं।कहीं लोग मरीज को हॉस्पिटल में भर्ती कराने की जिद कर रहे हैं तो कहीं अपनी मर्जी से दवा दे रहे हैं।ऐसे में देश के प्रतिष्ठित मेडिकल संस्थान एम्स (AIIMS) दिल्ली ने कोविड 19 के इलाज को लेकर नई गाइडलाइन जारी की हैं। नई गाइडलाइंस के मुताबिक मरीज की हालत के हिसाब से उसे ट्रीटमेंट देने के बारे में बताया गया है। इसमें लक्षणों के आधार पर हल्के, मध्यम और गंभीर केसेज की कैटेगिरी बना कर कदम उठाने के तरीके बताए गए हैं।
कोरोना के हल्के लक्षण वाले मरीज
पहचानः एक कोरोना मरीज को हल्के लक्षण वाला तब समझा जाएगा जब उसे नाक और गले में खराश और बुखार होगा लेकिन सांस लेने में किसी भी तरह की दिक्कत नहीं हो रही होगी.
क्या करेंः होम आइसोलेशन में रहें और ध्यान रखें
ये जरूर करें
1- शारीरिक दूरी बनाएं, घर के भीतर भी मास्क पहनें, हाथों को अच्छी तरह से साफ रखें।
2-इलाज कर रहे डॉक्टर के लगातार संपर्क में रहें।
अपने शरीर का तापमान और ऑक्सीजन लेवल लगातार चेक करते रहें।
ऐसा होने पर फौरन डॉक्टर के पास जाएं
1- सांस लेने में तकलीफ
2- तेज बुखार और खांसी. खासतौर पर जब ऐसा पिछले 5 दिनों से हो रहा हो ।
कोरोना के मॉडरेट मरीज
पहचानः मरीज के सांस लेने की गति 24 प्रति मिनट से ज्यादा हो जाएगी. सांस फूलेगी और ऑक्सीजन का लेवल 90 फीसदी पर आ जाएगा।
क्या करेंः फौरन वॉर्ड में भर्ती कराएं.
कोरोना के गंभीर मरीज
पहचानः सांस लेने की रफ्तार 30 प्रति मिनट तक पहुंच जाती है. तेजी से सांस फूलना।
क्या करेंः फौरन आईसीयू में भर्ती करें।
पहचानः मरीज के सांस लेने की गति 24 प्रति मिनट से ज्यादा हो जाएगी. सांस फूलेगी और ऑक्सीजन का लेवल 90 फीसदी पर आ जाएगा।
रेमडेसिविर के इस्तेमाल को लेकर भी गाइडलाइन
इमरजेंसी इस्तेमाल के तहत रेमडेसिविर का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।यह सिर्फ उन पेशेंट्स को दी जाए जिनमें मध्यम और गंभीर (जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत हो) लक्षण दिखाई दें। ऐसा 10 दिन तक लक्षण दिखने के बाद किया जा सकता है। इसके इस्तेमाल को लेकर साफ कहा गया है कि रेमडेसिवर का इस्तेमाल सिर्फ ऑक्सीजन सपोर्ट पर मौजूद मरीज पर ही किया जाए।घर पर जिनका इलाज हो रहा है उन पर नहीं।


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